फील्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट के लिए आवश्यक प्रमाण-पत्र एवं प्रोफॉर्मा
नवीन अकादमिक संरचना में परियोजना कार्य एक महत्वपूर्ण अंग
है आधारित शिक्षण, विद्यार्थी के व्यक्तिगत अथवा समूह में रहकर अनुसंधान
संयोजन है, जिससे विद्यार्थी फील्ड स्टडी के माध्यम से न सिर्फ
अनुसंधान अपितु समूह में एक साथ घनिष्ठ रूप में कार्य करना भी सीखता है। महाविद्यालय के बाहर के फील्ड स्टडी/ केस स्टडी के अनुभव विद्यार्थियों के लिए अमूल्य है। परियोजन से,
विद्यार्थियों में समूह
अनुसंधान गतिविधियों के अलावा स्वप्रबंधन, निर्माण, सामूहिक निर्णय लेने की क्षमता में अभिवृद्धि होती है
परियोजना कार्य में शिक्षक की अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका
है। विद्यार्थियों को दिये जाने वाले मार्गदर्शन के द्वारा, शिक्षकों में भी अनुसंधान
अंर्तदृष्टि और समस्याओं को समझने एवं उनके निराकरण का कौशल परियोजना कार्य की
विशेषता है कि इसमें शामिल सभी लोग एक-दूसरे से सी का दायित्व है कि वह
विद्यार्थियों के साथ अकादमिक संवाद स्थापित करें, प्रमुख मुद्दों पर सोचने
एवं प्रश्न करने की प्रवृत्ति विकसित करें तथा उनके उत लिये उपयुक्त शोध
प्रविधियों को अपनाने के सुझाव दे तथा विद्यार्थियों द्वारा कि सतत् समीक्षा
करेंगे।
क) परियोजना कार्य हेतु
विषय का चयन -
परियोजना कार्य में विषय का चयन अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
विषय / शीर्षक चयन में, विद्यार्थियों की विषय विशेष में रुचि को आधार मानकर,
परियोजना की उपादेयता को
ध्यान में रखते हुये विषय आवंटन करना चाहिए। परियोजना कार्य न ही बहुत व्यापक हो,
न ही बहुत सीमित हो,
अर्थात नियत समय अवधि में
विद्यार्थी इसे पूर्ण कर सकें।
परियोजना कार्य के विषय का व्यक्तिगत एवं समाजिक महत्व भी
होना चाहिए, तथा यह एक शोध विषय के रूप में अनुसंधान को प्रेरित करने
वाला हो। शिक्षक यह सुनिश्चित करें कि शोध के विषय के चयन हेतु Learning
Outcomes इस प्रकार निर्धारित किये
जाएँ जो प्राप्ति योग्य हो तथा जिनके आधार पर प्राप्त ज्ञान एवं कौशल का मापन व
अवलोकन (Measurable and (Observable) स्पष्टता के साथ किया जा सके।
परियोजना कार्य को महाविद्यालय के उपलब्ध संसाधन यथा
लाईब्रेरी, इंटरनेट, ऑडियो विजुअल सामग्री तथा महाविद्यालय के बाहर फील्ड वर्क /
केस स्टडी / अथवा अन्य संस्थान का शैक्षणिक भ्रमण आदि के आधार पर पूर्ण किया जाना
चाहिए ।
ख) परियोजना कार्य हेतु
निर्देश -
परियोजना कार्य सामान्य रूप से विषय से संबंधित
विद्यार्थियों के समूह बनाकर उन्हें आवंटित किये जायें। समूह में विद्यार्थियों की
संख्या परियोजना कार्य की प्रकृति एवं आवश्यकता के अनुरूप रखी जा सकती है। समूह
में विद्यार्थियों की संख्या न्यून्तम 4 से अधिकतम 6 हो सकती है।
विद्यार्थी समूह को फील्ड वर्क आधारित परियोजना कार्य में
विद्यार्थी को 07 पूर्ण दिवस अथवा 15 दिवस अंश कालीन (पार्ट टाइम) फील्ड वर्क करना अनिवार्य है
। यदि वह मान्यता प्राप्त संस्था से यह कार्य कर रहा है तो उस संस्था का
प्रमाण-पत्र अथवा फील्ड वर्क के साक्ष्य फोटो के रूप में रिपोर्ट में प्रस्तुत
करना होगा ।
परियोजना रिपोर्ट स्वहस्तलिखित न्यूनतम 5000 शब्दों में प्रस्तुत
करना होगी। प्रोजेक्ट रिपोर्ट में आवश्यकतानुसार, चार्ट, ग्राफ, फोटोग्राफ आदि का प्रयोग
करना आवश्यक है।
परियोजना कार्य में समूह में शामिल सभी विद्यार्थियों की
भूमिका एवं उत्तरदायित्व का उल्लेख परियोजना प्रविधि में किया जाना आवश्यक होगा।
संबंधित शिक्षक ये सुनिश्चित करेंगें कि प्रत्येक 15 दिवस पर, विद्यार्थी समूह की बैठक
आयोजित कर निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति के लिये, विद्यार्थी समूह द्वारा
किये गये प्रयासों की समीक्षा करेंगें ।
परियोजना कार्य किसी भी रूप में नकल पर आधारित नहीं होगा।
विद्यार्थियों को स्वविवेक से उपलब्ध संसाधनों के आधार पर परियोजना कार्य को पूर्ण
करना होगा। विद्यार्थियों को यह प्रमाण पत्र भी रिपोर्ट के साथ देना होगा की
प्रस्तुत परियोजना रिपोर्ट उनका मौलिक कार्य है। परियोजना कार्य दीर्घ अवधि में
पूर्ण किया जाना है, परंतु किसी भी स्थिति में विद्यार्थी को चालू सत्र में 31 दिसंबर के पूर्व
परियोजना कार्य पूर्ण करना आवश्यक है।
ग) परियोजना कार्य का
मूल्यांकन -
परियोजना कार्य का उद्देश्य विद्यार्थियों में विषय से
संबंधित प्रमुख बिन्दुओं पर रचनात्मक दृष्टिकोण विकसित करना है। प्रत्येक
विद्यार्थी/विद्यार्थी समूह, परियोजना के निर्धारित अवधि के अंत में परियोजना रिपोर्ट
प्रस्तुत करेंगें, जिसका मूल्यांकन नियमानुसार किया जायेगा ।
मूल्यांकनकर्ता ये सुनिश्चित करेंगे कि परियोजना कार्य में
निर्धारित आवश्यक चरणों का समावेश किया गया है तथा परियोजना कार्य द्वारा पूर्व
निर्धारित Learning Outcomes प्राप्त कर लिए गए हैं ।
विद्यार्थी समूह द्वारा रिपोर्ट का प्रस्तुतिकरण भी किया
जाये, जिसमें प्रत्येक विद्यार्थी की निर्धारित भूमिका एवं उसके
द्वारा कार्य निष्पादन का मूल्यांकन किया जाये ।
विद्यार्थियों द्वारा 15-15 दिवस में न्यूनतम तीन
प्रगति प्रतिवेदन (प्रारूप -P1, P2, P3) में देना होगा, जिसके आधार पर संबंधित शिक्षक सतत् मूल्यांकन का कार्य
करेंगे ।
सतत् मूल्यांकन के अतिरिक्त परियोजना कार्य की अंतिम
रिपोर्ट (प्रारूप - P4 प्रारूप में) जमा करने के पश्चात् परियोजना कार्य का
विश्वविद्यालय द्वारा नामित बाह्य परीक्षक की उपस्थिति में प्रस्तुतिकरण एवं
मौखिकी परीक्षा होगी। उसी के आधार पर अंतिम मूल्यांकन तथा नियमतः ग्रेड आवंटित
किया जावेगा। आंतरिक (सतत्) एवं बाह्य मूल्यांकन में अंकों का विभाजन क्रमशः 50 एवं 50 अंकों का होगा।
a. आंतरिक मूल्यांकन (50 अंक) हेतु विद्यार्थी समूह
निर्धारित प्रारूप में तीन प्रगति प्रतिवेदन, निश्चित अंतराल पर
प्रस्तुत करेगा। आंतरिक मूल्यांकन हेतु तीनों रिपोर्ट में से, दो श्रेष्ठ रिपोर्ट की
गणना की जायेगी।
b. बाह्य मूल्यांकन (50 अंक) का विभाजन निम्न अनुसार होगा:
- 30 अंक – अंतिम प्रोजेक्ट रिपोर्ट एवं प्रस्तुतिकरण (सामूहिक)
- 20 अंक - मौखिकी (व्यक्तिगत)
प्रत्येक विद्यार्थी का परियोजना कार्य में आवंटित कार्य,
उसके द्वारा निष्पादित
कार्य एवं परियोजना हेतु निर्धारित तथा अर्जित दक्षताओं (Learning
Outcomes) के आधार पर मूल्यांकन
किया जायेगा ।
परियोजना कार्य में संलग्न विद्यार्थी, परियोजना के अलग-अलग
चरणों में 3 पाक्षिक प्रगति रिपोर्ट (प्रारूप - P1, P2 व P3) 15-15 दिवस के अन्तराल में
प्रस्तुत करेंगे ।
परियोजना कार्य करने वाले विद्यार्थियों की अंतिम रिपोर्ट
के लिए प्रारूप - P4 निर्धारित है, इस रिपोर्ट में, पूर्व में जमा की गईं प्रथम, द्वितीय व तृतीय पाक्षिक
रिपोर्ट के विवरण को भी आवश्यकतानुसार सम्मिलित किया जा सकेगा।
महत्वपूर्ण प्रपत्र:
1. प्रोजेक्ट कार्य की प्रगति (प्रपत्र P1, P2 एवं P3): ये तीनों प्रपत्र प्रोजेक्ट कार्य की प्रगति पर आधारित होते हैं। इन प्रपत्रों में दिये गए बिन्दुओं के अनुसार प्रोजेक्ट कार्य की प्रगति के आधार पर इन प्रपत्रों को तैयार किया जाता है। यदि इन तीनों प्रपत्रों के बिन्दुओं को एक साथ जोड़ दिया जाता है तो एक सम्पूर्ण प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार हो जाती है। या कहा जाए कि प्रोजेक्ट रिपोर्ट जो प्रपत्र P4 के अनुसार बनाई जाती है, उसी को तीन भागों में बांटा गया है। प्रोजेक्ट कार्य हेतु सामन्यात: 45 दिन का समय आबंटित किया जाता है, इसलिए लिए प्रोजेक्ट कार्य की प्रगति की प्रथम रिपोर्ट (P1) प्रथम 15 दिवस, द्वितीय रिपोर्ट (P2) अगले 15 दिवस एवं तृतीय रिपोर्ट (P3) अंतिम 15 दिवस की प्रगति के आधार पर तैयार की जाती हैं। प्रोजेक्ट कार्य का आंतरिक मूल्यांकन जो 50 अंकों का होता है, इन्हीं तीन प्रपत्रों में से दो सबसे अच्छे प्रपत्रों (प्रगति प्रतिवेदनों) के आधार पर किया जाता है।
नोट: प्रपत्र P1, P2 एवं P3 रेपोर्ट्स पर वाह्य मार्गदर्शक/वाह्य संस्था के हस्ताक्षर होना आवश्यक होता है।
2. प्रोजेक्ट रिपोर्ट का प्रारूप (प्रपत्र P4): यह प्रपत्र प्रोजेक्ट रिपोर्ट लिखने के लिए एक प्रारूप है। प्रोजेक्ट कार्य कि रिपोर्ट विध्यार्थियों को इसी प्रपत्र के अनुसार तैयार करना होती है। जैसा कि आप पढ़ चुके हैं कि यह प्रपत्र P1, P2 एवं P3 का योग रूप है। प्रोजेक्ट रिपोर्ट वाह्य मूल्याकन के लिए अनिवार्य होती है।
प्रोजेक्ट रिपोर्ट (P4) में निम्न प्रपत्र/ दस्तावेज़ अनिवार्य रूप से शामिल किए जाते हैं:-
- प्रथम प्रष्ठ
- घोषणा पत्र
- मार्गदर्शक का प्रमाण पत्र
- कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र
- आभार
- अनुक्रमणिका
नोट: प्रोजेक्ट रिपोर्ट के प्रपत्रों (मार्गदर्शक का प्रमाण पत्र एवं कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र) पर वाह्य मार्गदर्शक/वाह्य संस्था के हस्ताक्षर होना आवश्यक होता है।
3. वाह्य संस्था/ मार्गदर्शक का फीडबक्क (प्रपत्र G4): वाह्य मार्गदर्शक के द्वारा विद्यार्थियों का फीडबक्क कि विद्यार्थियों ने कितनी लगन एवं अनुशासन से प्रोजेक्ट कार्य किया है, निर्धारित प्रपत्र G4 में वाइवा के समय प्रस्तुत करना अनिवार्य। इस प्रपत्र पर भी वाह्य मार्गदर्शक/वाह्य संस्था के हस्ताक्षर होना आवश्यक होता है।
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