Feminism Today | Are We Afraid of the F-word? |वर्तमान परिप्रेक्ष्य में स्त्री विमर्श

 


मातृशक्ति के सम्मान के बिना एक विकसित समाज की कल्पना असंभव- प्रो. थापक

आज भी महिलाओं को स्वामित्व की वस्तु के रूप में देखा जाता है- डॉ शलिनी कौशिक

अँग्रेजी विभाग में "वर्तमान परिप्रेक्ष्य में स्त्री विमर्श" पर हुआ उपयोगी व्याख्यान

छतरपुर। महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, छतरपुर में आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत अंग्रेजी अध्ययनशाला एवं शोध केंद्र के द्वारा मप्र शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन कार्यक्रम, उच्च शिक्षा विभाग, मप्र शासन के तत्वावधान में "वर्तमान परिप्रेक्ष्य में स्त्री विमर्श: एक समालोचनात्मक विश्लेषण" विषय पर एक दिवसीय विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। 

विश्वविद्यालय के मीडिया कोर्डिनेटर डॉ एस पी जैन ने बताया कि व्याख्यान में विषय विशेषज्ञ के रूप में शासकीय महाविद्यालय गुना में पदस्थ  अंग्रेजी की सहा. प्राध्यापक डॉ शालिनी कौशिक ने फेमिनिज़्म (स्त्री विमर्श) को परिभाषित करते हुए विस्तार से बताया कि किस तरह बचपन से ही जाने अनजाने में बच्चों में महिला पुरुष में अंतर करना सिखा दिया जाता है जो एक संतुलित समाज के निर्माण में रुकावट साबित होता है।फेमिनिज़्म के चार स्तरों पर प्रकाश डालते हुए आपने बताया कि किस तरह आज भी महिलाओं को स्वामित्व की वस्तु के समझा जाता है। उन्होंने समाज के सम्पूर्ण तथा चहुमुखी विकास के लिए इस नज़रिये को बदले जाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। 

इस अवसर पर मुख्य संरक्षक एवं कुलपति प्रो टी आर थापक ने मातृशक्ति के महत्व तथा प्रासंगिकता को विस्तार से बताया। कार्यशाला के संरक्षक तथा विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ जे पी मिश्र ने मातृशक्ति तथा छात्रशक्ति को संबोधित करते हुए महिलाओं को परिवार, समाज, देश तथा विश्व में दिए जाने वाले उचित स्थान को रेखांकित करते हुए वैश्विक विकास में इनके महत्व को विस्तार से बताया। आर्ट्स फैकल्टी के डीन डॉ जे पी शाक्य ने महिलाओं की वर्तमान स्तिथि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महिलाओं को सम्मन देना ही समाज के विकास का रास्ता है। व्याख्यान के विषय का प्रवर्तन करते हुए डॉ  बीपी सिंह गौर ने बकहा कि फेमिनिज़्म महिलाओं की स्वतंत्र तथा आत्मनिर्भर पहचान के लिए आवाज़ उठाती हुयी संकल्पना है। डॉ गौर ने फेमिनिज़्म के भारतीय तथा पाश्चात्य संकल्पना में अंतर बताते हुए भारतीय संकल्पना को सकारात्मक तथा एक संतुलित समाज के निर्माण में भूमिका वाला बताया।

इस व्याख्यान में ऑफलाइन, ऑनलाइन तथा यूट्यूब पर किए गए  लाइव प्रसारण के माध्यम से बहुत बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने भाग लिया। डॉ कमलेश चौरसिया ने आभार प्रदर्शन एवं डॉ दुर्गावती सिंह मंच संचालन किया। इस अवसर पर डॉ. गायत्री, डॉ. के बी अहिरवार, प्रो डी के प्रजापति तथा प्रो. आर डी अहिरवार, कला संकाय के शोधार्थी एवं बड़ी संख्या में स्नातकोत्तर कक्षाओं के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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‘Are We Afraid of the F-word?: Feminism Today.’

An Invited/ Expert Lecture on 31.08.2022 at 11:00 am by Dr. Shalini Kaushik Asstt. Prof. of English Govt. P.G. College, Guna (M.P.) Organizer- School of Studies in English and Research Centre Maharaja Chhatrasal Bundelkhand University, Chhatarpur (M.P.)

I am a teacher with more than 26 years of experience of teaching. My motive, apart from teaching in a govt university, is to provide free education and guidance to the needy guys. Feel free to contact. youtube facebook twitter instagram linkedin whatsapp telegram

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